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विनोद वया

पिछले वर्ष जब के एम एम (कीप मूविंग मूवमेंट) से जुड़ना हुआ तो लगा नहीं था कि यह एक ऐसा अनुभव ह¨गा जो सब कुछ बदल देने वाला है. पहले विडियो देखना फिर माॅक (कृत्रिम) सेशन करना. यहाँ तक तो ठीक था, आसान लगा था कि जाकर बच्चों को ही बताना है, मगर जब खुद तैयारी करके माॅक करता तो वो बात नहीं आ रही थी. वजह बोलने की नहीं थी, भाषा की नहीं थी, बाॅडी लैंग्वेज की भी नहीं थी. तो फिर वजह क्या थी? पर वजह तो सीधी थी मगर बदलाव थोड़ा मुश्किल था, कनेक्ट तो तब आएगा जब मैं खुद बदलाव को आत्मसात करूँ. जब ठान लिया तो करना ही था, धीरे धीरे ही सही अंदर ही अंदर व¨ उथल पुथल शुरू हो चुकी थी. हर सेशन के साथ शुरू हुआ एक परिवर्तन. मैंने यह सुनिश्चित किया कि कक्षा में जाने से पहले मुझे बेहतर होकर ही जाना है. CRSE, Happiness is my Anchor, 90%+10%, या Breaking the chains कोई भी सेशन ऐसा नहीं था जिसमें शत प्रतिशत से अधिक प्रयास न किया हो. क्या अद्भुत अहसास था जब मुझे बच्चों ने भी घर पर सेशन देखने की बात कही, उनका स्व-प्रेरणा से कहना एक सुखद अनुभव था, तभी लगा इसका नाम कीप मूविंग मूवमेंट एकदम सार्थक है. बदलाव का चलना, खुद से शुरू हुआ, मूव हुआ घर में, कक्षा में एवं धीरे धीरे ऑफिस में भी हैप्पी माॅर्निंग कहना एवं मिलने पर हग करने से एक मज़बूत रिश्ता सहकर्मियों के साथ होता गया. इस दरम्यान कई यादगार लम्हे भी आये जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता. इस वर्ष जब उदयपुर से 64 एवं गुड़गांव से 6 लोग जुड़े तो टीम लगभग 4-5 गुना हो गयी. सिलसिला अब चला तो ऐसा कि जो जुड़ा वो के एम एम के बिना अधूरा सा महसूस करता है. इंतज़ार रहता है सन्डे लाइव सेशन का, नए विडियो का, नए टापिक का एवं कक्षा में जाकर बच्चों के साथ सीखना एवं सिखाना.

इस वर्ष शुरुआत हुई सेशंस ‘‘आई एम जीनिअस’’, फिर ‘‘पावर आफ कम्युनिकेशन’’, फिर ‘‘डीसीप्लिन एवं गोल्स’’, हर सेशन में हर टीम के सदस्यों का अनुभव लाजवाब रहा. धन्यवाद् सिक्योर तथा धरोहर का जिन्होंने ये अवसर दिया और टीम के हर सदस्य का कि हम सब जुड़ गए दिल से, के एम एम से हमेशा के लिए.

इंतज़ार है 4 और सेशंस का. लगातार जुड़े रहने के विश्वास के साथ धन्यवाद के एम एम -2016 टीम, मेरा हौसला बढ़ाने के लिए.